हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के माध्यम से नियुक्त 800 से अधिक बस कंडक्टरों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। परिवहन विभाग ने कंडक्टरों के अनुभव प्रमाण-पत्रों की जांच शुरू कर दी है, जिससे कई कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
फर्जी प्रमाण-पत्रों की जांच शुरू! 📝
राज्य परिवहन अधिकारियों को कुछ कंडक्टरों के फर्जी प्रमाण-पत्रों की शिकायतें मिली थीं। इसके बाद परिवहन मंत्री अनिल विज के निर्देश पर सभी डिपो के महाप्रबंधकों को इन प्रमाण-पत्रों की जांच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया।
डिपो के जीएम (GM) ने तेजी से कार्रवाई करते हुए प्रमाण-पत्रों की सत्यता की जांच के लिए विशेष समितियों का गठन किया है।
सरकार की मदद के कारण भर्ती में मिली थी प्राथमिकता ⚙️
2018 में रोडवेज कर्मचारियों की 18 दिन की हड़ताल के दौरान इन कंडक्टरों ने सरकार की सहायता की थी। उस समय, इन्हें दैनिक आधार पर कंडक्टर के रूप में काम पर रखा गया था। इसके लिए उन्हें न केवल भुगतान किया गया बल्कि अनुभव प्रमाण-पत्र भी जारी किए गए थे।
इसी अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर HKRN के माध्यम से इन कंडक्टरों को भर्ती किया गया था।
फर्जी प्रमाण-पत्रों पर उठ रहे सवाल! 🚨
क्यों संदेह हो रहा है?
शंका का कारण | विवरण |
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2018 की हड़ताल | दावा किया गया कि जो लोग हड़ताल के दौरान ड्यूटी पर थे, उन्हें प्राथमिकता दी गई। |
नकली प्रमाण-पत्र | कुछ ऐसे लोग भी भर्ती हो गए जो हड़ताल के दौरान कार्यरत नहीं थे। |
भर्ती प्रक्रिया | HKRN ने अनुभव प्रमाण-पत्रों के आधार पर नियुक्ति की, लेकिन अब इनकी सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं। |
वेरीफिकेशन प्रक्रिया जारी 🔍
परिवहन विभाग के अधिकारी कंडक्टरों के वेतन भुगतान से जुड़े रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं। हाल ही में नियुक्त कंडक्टरों के सर्टिफिकेट की गहन जांच हो रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर भर्ती हुआ है, तो उसकी नौकरी रद्द हो सकती है।